ग्‍लूकोमा के मरीज लगाएं ध्‍यान, होगा फायदा

ग्‍लूकोमा के मरीज लगाएं ध्‍यान, होगा फायदा

सेहतराग टीम

हमारे शरीर पर योग एवं ध्‍यान के असर के बारे में आधुनिक चिकित्‍सा पद्धति लगातार एक तरह के नकार के भाव में रहती है। मगर अब रवैया बदल रहा है। अब योग, ध्‍यान, आयुर्वेद आदि के प्रभाव का आकलन करना खुद आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञानियों ने करना आरंभ कर दिया है। सेहतराग ने अभी आपको गर्भपात की रोकथाम के लिए मर्दों से योग करवाने वाले अध्‍ययन की जानकारी आपको दी थी। अब हम आंखों की बीमारी ग्‍लूकोमा के इलाज में ध्‍यान के प्रभाव के बारे में किए गए अध्‍ययन की जानकारी आपको दे रहे हैं।

इस नए अध्‍ययन के अनुसार ग्लूकोमा से पीड़ित मरीजों में ध्यान लगाने से आंख के दबाव को कम करने में मदद मिल सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राजेन्द्र प्रसाद सेंटर के चिकित्सकों के हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है।

यह अध्ययन एम्स में नेत्र विज्ञान केंद्र ने समग्र स्वास्थ्य क्लीनिक, शारीरिक विज्ञान विभाग में फिजियोलॉजी और जेनेटिक्स लैब विभाग के सहयोग से किया है। ग्लूकोमा या काला मोतिया भारत में अपरिवर्तनीय दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण है जिससे एक करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।

नेत्र विज्ञान के लिए आरपी सेंटर, एम्स, के प्रोफेसर और इस अध्ययन के पहले लेखक डॉ. तनुज दादा ने कहा, ‘इंट्राओकुलर दबाव (आईओपी) को कम करना ग्लूकोमा के लिए एकमात्र सिद्ध उपचार है और यह वर्तमान में आंखों की बूंदों, लेजर थेरेपी या सर्जरी के जरिये हासिल किया जाता है। आंखों की बूंदें महंगी हैं और इसके पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव होते हैं और कई मरीज़ उन्हें जीवनभर की थेरेपी के रूप में जुटाने में समक्ष नहीं होते है।’ 
यह अध्ययन जर्नल ऑफ ग्लूकोमा में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के तहत 90 ग्लूकोमा मरीजों का चयन किया गया और उन्हें दो समूहों में बांटा गया।
अध्ययन के अनुसार एक समूह ने ग्लूकोमा दवाओं के साथ योग के एक प्रशिक्षक की निगरानी में 21 से अधिक दिनों तक हर सुबह 60 मिनट तक के लिए ध्यान लगाया और प्राणायाम किया जबकि दूसरे समूह ने किसी ध्यान के बिना केवल दवाएं ली।

तीन सप्ताह के बाद ध्यान लगाने वाले समूह में इंट्राओकुलर दबाव (आंखों के दबाव) में महत्वपूर्ण कमी देखी गई और दबाव 19एमएमएचजी से 13 एमएमएचजी पर आ गया। एम्स में फिजियोलॉजी विभाग, इंटीग्रल हेल्थ क्लीनिक के प्रभारी प्रोफेसर डॉक्‍टर. राजकुमार यादव ने कहा, ‘दुनिया में यह पहला अध्ययन है जो मस्तिष्क को लक्षित करके ध्यान लगाने से आंखों के दबाव को कम करने और रोगियों के सामान्य स्वास्थ्य दोनों में सुधार के लिए मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्य प्रदान करता है।’

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।